राहे वफ़ा मे नवाब खिर्द


राहे वफ़ा मे नवाब खिर्द ओ अक्ल का और क्या काम था
लोग पूछते है क्या तो बताए हम क्या की क्या हमारा नाम था
खामोशिया रुसवाइयां बेताबियाँ बर्बादियाँ
थी तेरे नाम ये जिंदगी तो ये जिंदगी का अंजाम था
कुछ और होनी थी जिंदगी कुछ और का ही काम था
मैं सस्ता ही था बिक रहा कुछ और ही मेरा दाम था
ये कैसे कैसे हो गया ये जाने किसका  काम था
किसी और का मैं था गुनाह किसी और का इल्ज़ाम था
जो देखता है वो देखता हू मैं ये ख्याले खाम था
कह गये हज़रत जिसे तुम सुन लिए क्या जाने वो पैगाम था
खूनी सड़के दहशतगर्दी वहसी आलम
और तू कहता है ये  मजहबे इस्लाम था

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