मकान ही मेरा घर था
प्यार तेरा सरकारी मकान जैसा ही था ,ज़िंदगी लगभग गुजर ही गयी, किराया तो नाम का था कीमत कहां थी उसकी. कीमत का अहसास उस दिन हुआ जब मकान छोडने का वक्त आया, ईट गारे से एक घर तो खड़ा लिया मैने पर जेहन से पीले रंग की दीवारे और हरे स्लेटी रंग का दरवाजा नहीं गया. कुछ देर के लिये ही सही पर वो मकान ही मेरा घर था
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