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Showing posts from April, 2018

पानी

पानी पानी जीने के लिए बहुत जरूरी है। इस बात को हम सभी समझते हैं। पर ये बात सिर्फ हमी नही समझते पानी भी समझता है। इसलिए पानी ने वहाँ भी जीवन की संभावनाएं बनाई हैं, जहाँ जीवन के होने की कल्पना नही की जा सकती। पृथ्वी के ध्रुवों पर तापमान अत्यधिक कम होने के कारण वहां बर्फ जमी रहती है। बर्फ ऊपर की तरफ से जमना शुरू होती है लेकिन नीचे तली तक बर्फ नही जमती। नीचे वाटर लिक्विड स्टेट में रहता है। इसलिए पानी के अंदर रहने वाले जीव जमकर नही मरते । अब ऐसा होता क्यों है। ऐसा होता है पानी की एक अनोमली कि वजह से। वैसे तो पानी की 70 अनोमली हैं, पर जिस अनोमली की बात यहाँ की जा रही है वो है पानी की डेन्सिटी में तापमान के कारण होने वाला चेंज। जब पानी का टेम्परेचर कम किया जाता है तो पानी की डेंसिटी बढ़ती है। पानी की अपर सरफेस जैसे ही ठंडी होती है ,उसकी डेंसिटी भी हाई हो जाती है।हाई डेंसिटी वाटर नीचे की तरफ चला जाता है। पानी का टेम्परेचर कम होते होते जब 4℃ तक पहुंचता है, तो पानी की डेंसिटी मैक्सिमम हो जाती है। मान लिया जाए कि पानी से भरी एक लेक है तो पानी की मैक्सिम डेंसिटी 4℃ पर होगी। अब टेम्परेचर को अगर ...

अम्मा

अम्मा माँ मैं घोड़ा चराने जा रही हूँ रात वाली तरकारी रख देना आ के खाऊँगी , बड़ी स्वाद बनी थी तू फिक्र मत कर मै शाम ढलते लौट आऊंगी तूने कभी जंगल का वो रास्ता देखा है जहाँ तितलियाँ घास पर बैठती हैं घास में निकले पीले फूलों पर आज वहां तितलियों की शादी है जब तितलियों की शादी होती है गिलहरियां नाचती हैं कोयल गाती है हिरण दौड़ते हैं , मै भी उनके पीछे जाती हूँ अम्मा काश तू भी आती देख न जंगल का रास्ता कितना सुंदर है चारो तरफ हरियाली लंबे लम्बे पेड़ लेकिन आज कुछ अजीब सा लग रहा है डरावना सा सन्नाटा पसरा है घास पर तितलियाँ भी नही है मन्दिर के रास्ते से कुछ परछाइयां फूलों को रौंदते हुए मेरी ओर आ रही हैं मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा अम्मा मैं वापस घर की ओर आ रही हूँ मुझे गोद में छुपा लेना अम्मा मेरे पैर दुखते हैं मुझसे और नही भागा जाता सांस चढ़ गयी है इन लोगो ने मुझे जकड़ लिया है ये लोग मुझे नोच क्यों रहे हैं मैंने क्या किया है अम्मा ये लोग मुझे मार क्यों रहे हैं मैंने माफी भी मांग ली पर ये लोग मुझे छोड़ नही रहे मुझे बहुत दर्द हो रहा है ये लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं मैंने इनका क्या बिगाड़ा है अम्मा द...

हिन्दू कोड बिल v/s डॉ अम्बेडकर

हिन्दू कोड बिल v/s डॉ अम्बेडकर आज के दिन उन प्रेमी युगलों को डॉ आंबेडकर का धन्यवाद जरूर करना चाहिए, जो प्रेम विवाह या फिर इंटरकास्ट मैरिज करना चाहते हैं। यही नही वो लोग भी आभारी हो सकते हैं , जिनको तलाक का अधिकार प्राप्त हुआ।मृतक की विधवा, पुत्री को उसकी संपत्ति में बराबर का अधिकार , इसके अतिरिक्त, पुत्रियों को उनके पिता की संपत्ति में अपने भाईयों से आधा हिस्सा मिलना । ये सारे अधिकार प्राप्त हुए। पर जितनी आसानी से इन अधिकारों का प्रयोग आज होता है, उससे कही ज्यादा कठिनाई हुई इसको लागू करने में। अगर बाबा साहब और पंडित नेहरू ने जिजीविषा न दिखाई होती तो ये बिल कभी लागू ही नही किया जा सकता था। इस बिल का विरोध अपने उच्चतम स्तर पे किया गया। पूरे देश मे आंदोलन किये गए। इस बिल को लेकर बाबा साहब के साथ सिर्फ पंडित नेहरू ही खड़े दिखाई दिए। यहाँ तक कि खुद उनकी कांग्रेस पार्टी के मेंबर भी उनका पुरजोर विरोध कर रहे थे। जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति महोदय डॉ राजेन्द्र प्रसाद बिल विरोधियों के अगुआ थे। उन्होंने यह तक कह दिया कि ये बिल आया तो वो इस्तीफा भी दे देंगे। पहली बार ये बिल 1947 में पेश किया गया,...

जख्म हालातों के

जख्म हालातों के भर जायेंगे क्या छोड़ आये हैं जो घर जाएंगे क्या कश्मकश में आजकल हर जिंदगी लोग हद से अब गुजर जाएंगे क्या माना की सबसे बहादुर हम नही तुम डराओगे तो डर जाएँगे क्या वो सलीके से है बातें कर रही माने की रिश्ते बिखर जाएंगे क्या दूर तुम भी हो नही हम भी नही फासले अपने मगर जाएंगे क्या

नज़्म

नज़्म अब मैं चाहता हूँ ख्याल सो जाएँ फिर से वही पुराने दिन हों सर्दियों की हल्की धूप हो न कहीं जाने की चिंता न लौटने की परवाह मेरे जेहन में एक कहानी हो एक अधूरा मिसरा हो और उनको पूरा करने की जद्दोजहद फिर यूँ लगता है कि जिंदगी तुझे समझने की कीमत तो चुकानी पड़ेगी कीमत नही चुकायी तो ये कहानियाँ ये शायरी खोखले ही रहेंगे बेमतलब बेकार अगर शर्मिंदगी लिखूँ तो क्या है शर्मिंदगी दर्द नफरत गुस्सा जलन पश्चाताप क्यूँ है ये भावनाएं शायद वो अशर्फियाँ हैं जिनसे मै एक नज़्म खरीद पाउँगा और ये नज़्म भी कैसी है न इसमे माँ की लोरी है न प्रेम के उन्मुक्त पल सिर्फ कड़वाहट भरी बातें दिल को राख करने वाले किस्से आखिर ये कैसा सौदा है फिर सोचता हूँ नज्म नहीं मैंने आईना लिया है जिसमें न सच दिखता है न झूठ बस दुनिया दिखती है जहाँ कभी कभी मै भी नज़र आता हूँ एक किरदार की तरह जिसकी बातों में सच झूठ कुछ भी नही कोई गहराई नही सतही बातों के पुलिंदे हैं एक रैंडम इलेक्ट्रान की तरह भाग दौड़ है जिसकी स्थिति एक बादल है नवाब