नजम
जो ना हो बात तो बात बनाना नही आता
हमे बातों के पीछे बात छूपाना नही आता
वो कल भी नीदं में था वो आज भी है
क्या पता थी जो उल्फत वो आज भी है
क्यू बन गया मेरा मुंसीफ ही कातिल
वो बाहिरे-अक्ल था कल वो आज भी है
हमे बातों के पीछे बात छूपाना नही आता
वो कल भी नीदं में था वो आज भी है
क्या पता थी जो उल्फत वो आज भी है
क्यू बन गया मेरा मुंसीफ ही कातिल
वो बाहिरे-अक्ल था कल वो आज भी है
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