कहता है

काफ़िर ही काफ़िर को काफ़िर कहता है
काफ़िर भी काफ़िर को काफ़िर कहता है
एक ही ना सारे मज़हब तो एक रहता
छोड़िए किससे कोई फिर क्या कहता है
जिंदगी रोशनी ज़रिया नाखुदा
कोई उसे कुछ तो कोई कुछ कहता है
या नबी दे मक़ा उस दिल में या मर्ग
गुजरा है जो कुचे से हर शक्स कहता है
सितम यही की मैं उसका वफ़ादार नही
दे देगा वो मेरे लिए जाँ कहता है
दोस्त ने कहा चल जहा जाना है
ये नही होगा जब जहाँ कहता है
कह जाता है वो बहुत कुछ मुझसे
जब वो कुछ और नही कहता है

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