तल्ख़ी
वसल- ए - गम हुए अहबाब यूँ मिले
बेगुनाही में भी गुनाहे हिसाब यूँ मिले
अब ये आलम है तल्ख़ी-ए-जीस्त में
मिले फ़ना ना उल्फते शराब यूँ मिले
आबे जम-जम के सौदे तेज़ाब यूँ मिले
जिंदगी इस कदर मक़सूद हो चली मेरी
जैसे फेक दी पढ़ के कूड़े में किताब यूँ मिले
बेगुनाही में भी गुनाहे हिसाब यूँ मिले
अब ये आलम है तल्ख़ी-ए-जीस्त में
सर फोड़ लू महबूब से जवाब यूँ मिले
मिले फ़ना ना उल्फते शराब यूँ मिले
आबे जम-जम के सौदे तेज़ाब यूँ मिले
जिंदगी इस कदर मक़सूद हो चली मेरी
जैसे फेक दी पढ़ के कूड़े में किताब यूँ मिले
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