रंगबाज़ों का दर्द
बात जो भूलने में जमाने गए
हम वही बात फिर दोहराने गए
हम हो पहले ये हरगिज़ जरूरी नही
उनके चक्कर में कितने न जाने गए
डेढ़ फिट बॉडी से रूह बाहर गयी
देखा जब वो दरोगा बुलाने गए
हो गयी रूह जुदा जान ओ तन भी गए
कूटे ऐसे ले जा करक़े थाने गए
आग गलती से भी अब तो जलती नही
जल गए आग में जो जलाने गए
कह रही हड्डियाँ हैं ये हमसे सभी
अब न जुड़ पाएंगी जो जुड़ाने गए
धोये तबियत से ऐसे गए इस कदर
लोग दर्ज़ी से हमको सिलाने गए
सोचता हूँ खुदा क्या से क्या हो गया
सोचकर उस गली में क्या जाने गए
नाम लेना हसीना का है अब गुनाह
कह के हम दीदी उनको बुलाने गए
"नवाब"आ गयी वक़्त पे है अकल
रंगबाजी में कितने फलाने गए
नवाब
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