दुःख और संघर्ष



हम में से ज्यादातर लोग दुख और संघर्ष को एक ही समझ लेते हैं, पर ऐसा बिल्कुल नही है।ऐसे में आज एक बात याद आती है।
 संघर्ष जीवन का एक जरुरी अंग है ,जीवन की एक पर्यायवाची, संघर्ष इंसान को बेहतर बनाता है। सबके अलग अलग संगर्ष हैं।किसी का आईएएस बनने का , किसी का एक्टर बनने का, किसी का राइटर बनने का। ये कुछ बनने का ,करने का प्रोसेस ही संघर्ष है।
दुःख ये है कि किसी अपने का असमय चले जाना, माँ का बच्चे से हमेशा के लिए अलग हो जाना। ये दुख है , इसकी छतिपूर्ति नही की जा सकती।
इन्ही बातों को याद करते हुए आज फिर मै चूहों के साथ अपने संघर्ष को एक कदम आगे ले गया हूँ।चूहों से जंग आज भी जारी है ।JBl cs 100i ईयरफोन्स का जाना एक दुखद घटना थी। पर" चूहें हैं समान तो काटेंगे "वाला फ्रेज मैं अपने जीवन मे अब और आगे चरितार्थ नही होने दूँगा ।रैट किल अपना काम कर रहा है।
पर लगता है कोई चुहिया मर गयी , सब चूहा लोग फैज़ल बन गया है।बहुते एग्रेसिव हो गया है । एहि सब के बीच में हम चूहा लोग का पाछे सोनी का नया MDR-EX1501P इयरफोन आर्डर किया है अउर जो पहलका गाना सुने उसका बोल लिखे हैं  साहिर लुधियानवी  ,गायक हैं मोहम्मद रफ़ी साहेब और ढोल पेटी  है जयदेव का ।जयदेव साहब का एगो बहूत बढ़िया खासियत था। उनका गाना में फोक अउर ट्रेडिशनल मूजिक का मतलब ज्यादा रहता था  ,ऊ पहिले ऐसे मूजिक डायरेक्टर थे जो तीन ठो नेशनल अवार्ड जीते रहे। 
उन्ही का एगो गीत है देवानंद एक्टिंग किये है, फ़िल्म हम दोनों से।
मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फिक्र को धुँए में उड़ता चला गया.....
संघर्ष का आनंद लीजिये, दुःख को अपनी शक्ति बनाइये। और इस आर्टिकल में मतलब मत ढूढ़इये।

Comments

Popular posts from this blog

बहरें और उनके उदाहरण

मात्रिक बहर

बहर