ड्रैकुला के बहाने


एलिजाबेटा ड्रैकुला की वाइफ थी। ड्रैकुला उसको बहुत प्यार करता था। एक बार ड्रैकुला को तुर्कियो के खिलाफ एक लड़ाई में जाना पड़ा । कुछ दिनों बाद खबर आती है , ड्रैकुला मर गया (जो कि गलत खबर होती है) । खबर सुनकर एलिजाबेटा सुसाइड कर लेती है। ड्रैकुला वापस आता है । भगवान को कोसता है और शैतान के साथ समझौता करता है कि वो उसे पिशाच बना दे जो दूसरों के खून पर जिंदा रहता है ताकि वो अपना बदला ले सके ।
कहानी फिक्शनल है लेकिन फेक न्यूज़ का एक बहुत अच्छा example भी । इस जमाने का सबसे घातक जहर है "फेक न्यूज़" । कोई त्रासदी भी आये तो हज़ार 2 हज़ार मरेंगे , पर फेक न्यूज़ तो हर रोज़ दंगे फसाद करवा रहा है। अगर नेहरू और गांधी (या कोई अन्य फ़ोटो)से रिलेटेड कोई फ़ोटो व्हाट्सएप्प पे वायरल हो जाये तो तो ये प्रश्न नही उठेगा की क्यों फ़ोटो पोस्ट की गई , पर लोग ये जरूर कहेंगे "ये गांधी है नंगी लड़कियों के साथ हमारा राष्ट्र पिता" । कुछ लोग इसे वेरीफाई करेंगे कुछ सच मान लेंगे । फिर फारवर्ड भी कर देंगे । इसी तरह हर एक जाति समुदाय वर्ग पार्टियों के अपने अपने ग्रुप बन गए है। सब अपने को श्रेष्ठ और दूसरों को गलत बताने में जुट गए हैं । गलत खबरें फैलाकर लोगो को एक दूसरे के खिलाफ भड़काया जा रहा है। इसी तरह की एक न्यूज (फेक) थी y2k जिसने 2000 में सवा 3 लाख करोड़ का चूना पूरे विश्व को लगाया।
 फेक न्यूज़ को प्रमोट करने का सबसे ज्यादा काम तो राजनीतिक पार्टिया कर रही हैं । आम जनता के पास कभी भी रियल स्टैट्स नही होते जो वो सही गलत को वेरीफाई करें। तर्क का स्थान आस्था ने ले लिया है । आस्था रखने वाला व्यक्ति कभी प्रश्न नही करता ( जैसे शिव के भक्त कभी ये प्रश्न नही करेंगे कि भगवान होके भी क्यों उन्होंने अपने ही बालक का सिर काट दिया, इंसान भी ऐसा न करें) । 
फेक न्यूज़ ने बहुत सारे ड्रैकुला तैयार कर दिए हैं , जो लोगो का खून ही नही चूस रहे बल्कि अंदर से लोगो को खोखला कर रहे हैं। एक ड्रैकुला ने कई सारे वैम्पायर तैयार कर दिए हैं

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