ग़ज़ल
दिल में तुम न रखे न निकाले गए
न अंधेरे गए न उजाले गए
झूठ वैसे तो हमने कहा कुछ नही
बात कह दी मगर कुछ दबा ले गए
छोड़ आये सवालों को पीछे थे हम
आज मसले वही बस उछाले गए
इतने चहरे हैं की कोई चहरा नही
जिसके जो दिल में आया लगा ले गए
दर्द है आज जो कल थी वो ही खुशी
सौदा था भी यही सो निभा ले गए
लोग कहते तो हैं पर समझते नही
दर्द जिनके हैं उनसे ही पाले गए
इल्म वाले मगर सच बता सकते थे
झूठ लेकिन वो बेहतर बना ले गए
नवाब
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