ग़ज़ल
मिरे जब से हैं बिगड़े हालात सुनिए
जो हैं कुछ नही उनकी बेबात सुनिए
की हो कायदे में रहें बातें जो हों
ये भी क्या हुई बात हर बात सुनिए
कहे जा रही है जो मन मे आ रहा है
तो फिर क्या ये दुनिया की दिन रात सुनिए
हमी खेल में हों कोई दूसरा न
मज़ा फिर है क्या जो न शह मात सुनिए
अविनाश कुमार "नवाब"
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