हार
ये नजरिये की बात हो सकती है पर मैं समझता हूं कि जिंदगी की खूबसूरती को जीत के वक़्त नही बल्कि हार के समय महसूस किया जा सकता है।
सफलता और जीत का जीवन मे एक अलग स्थान है पर ये असफलता होती है जो हमें और बेहतर बनाती है। चीज़ों को देखने के प्रति हमारा नजरिया बदल देती है। हमें ज्यादा ह्यूमेन बनाती है।
जिस वक्त इंसान असफलताओ से घिरा होता होता है, वक़्त उसके लिए धीमा हो जाता है। उसके पास होता है तो सिर्फ वक़्त।ये वही वक़्त होता है जब प्रेम में असफल व्यक्ति गुलज़ार के लिखे गानों का भी मतलब समझने लगता है और कैरियर में असफल व्यक्ति विवेकानंद की जीवनी पड़ने लगता है। असफलता का एक गुण है कि वो हमें मानवीय संबंधों के उन पहलुओं को जानने और समझने के लिए मजबूर कर देती है जो हमारे साथ रहते हुए भी हमें दिखाई नही देते। नज़र का चश्मा और बेहतर हो जाता है।हार पीछे तो ले जाती है मगर और आगे ले जाने के लिए । ये समझने की नही आत्मसात करने की बात है।
हो सकता है कि आप भविष्य में एक बड़ा मुकाम हासिल करें, लक्सरी लाइफ एन्जॉय करें, बुर्ज खलीफा में फाइन डिनर करें, यूरोप घूमें पर अपने संघर्ष के दिनों में दिल्ली के उस 8*10 के सीलन वाले कमरे को कभी भूल नही सकते जब आपका दोस्त हर असफलता में आपके हार के गम को भुलाने लिए कुछ खास करता था । गम भुलाने वाले उस उत्प्रेरक को याद करिए जो 750 ml की पारदर्शी शीशी में, आपका दोस्त लाता था। फिर आपका कॉन्फिडेंस बूस्ट करने के लिए गीता के ज्ञान का कोई अपना वर्जन ही सुनाता था। ज्ञान चाहे तो समझ न भी आये पर उसकी भावनाएं तो समझ आती थी।
दुसरा फायदा उस उत्प्रेरक का ये भी था कि अंग्रेज़ी फ़्लूएंट निकलती थी । क्या पता इंटरव्यू में वही इंग्लिश स्पीकिंग का कोर्स काम आ गया हो। बाकी तो The Hindu पढ़ के हमने किसी को इंग्लिश स्पीकिंग करते नही देखा। वोकैब स्ट्रांग हुई हो अलग बात है। वो भी कितनी देर तक ये और अलग बात है।
8*10 के कमरे में बना वो रिश्ता फिर जिंदगी भर के लिए बन जाता है। जीवन मे आने वाली कोई भी लक्सरी ,उन असफल दिनों के अनुभव को खरीद नहीं सकती। ऐसे न जाने कितने खट्टे मीठे अनुभव होते हैं। मैं सबकी व्याख्या तो नही कर सकता पर समझता हूं कि आप समझते तो होंगे।
सबकी अपनी अपनी कहानियां हैं, अपने असफलता की । ये कहानियां जीवन मे सही फीडबैक का काम करती हैं। एक अच्छे मार्गदर्शक की तरह। लोंगो की कही बातें गलत हो सकती हैं, कड़वा अनुभव सिर्फ एक मात्र सत्य है। जिन्दगी आसान होती तो आसान शब्दों में समझाया जा सकता था । पर ऐसा है नही। जिंदगी को चलाने में बहुत सारे घटकों का योगदान होता है। भावनाएं एक जटिल प्रक्रिया है जो सभी के जिंदगी में होती हैं। हार भी उनमें से एक है। ये अपने लिए एक निश्चित स्तर की सोच माँगती है। कुछ कुछ नोलन की मूवीज जैसे ।
जीवन मे घटने वाली तमाम घटनाओं का हम अपनी भावनाओं के अनुरूप ही परीक्षण करते हैं। और कल्पना का सहारा लेते हुए परिस्तिथियों का दायरा बना लेते है। इन्ही दायरों के अंतर्गत हम फैसले भी लेते हैं।इसलिए जीवन मे घटित किसी भी क्रिटिकल सिचुएशन का सही आकलन बहुत जरूरी है। क्योंकि हमारे फैसले ही निर्धारित करते हैं कि जीवन में हम किस दिशा में बढ़ेंगे। अगर भावनाओं के अधीन होकर गलत फैसला किया तो आगे चलकर यही फैसले नेगेटिव फीडबैक का काम करते हैं। फिर ये एक लूप सा बन जाता है। लूप है,लाइफ में आने वाले सिचुएशन्स , उस पर लिया गलत फैसला, उसका परिणाम । फिर गलत परिणाम फीडबैक बनकर अगले फैसले को भी प्रभावित करते है। ये प्रक्रिया जीवन मे निरंतर चलती रहती है।
कुछ लोगो के लिए "हार" मन की एक दशा है, कुछ के लिए कायरता की निशानी , कुछ के लिए जिंदगी का अंत । मै समझता हूं "हार" एक तरीके का सिस्टम रीबूट है । एक लैग करते और स्लो सिस्टम पे काम करने से बहुत बेहतर है कि सिस्टम रीबूट ही हो जाय ।
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