तुम मिले हो मैं मिला हूँ
2122 2122 2122 212
तुम मिले हो मैं मिला हूँ पर क्या शायद हम मिले
चल रहे जाने किधर हैं क्या पता संगम मिले
हो तेरी मजबूरियां कुछ हैं मेरी मजबूरियां
दे दगा मजबूरियों को क्यूँ ना अब हम तुम मिले
देख दुनिया कह रही क्या लोग इसके कह रहे
कब तलक हो सिलसिला ये कुछ हमें मरहम मिले
आंधियों का दौर है और चल रही हैं आंधियां
कुछ जो ठहरे आंधियां तो दम में थोड़ा दम मिले
कश्मकश की आशिक़ी क्या कश्मकश की जिंदगी
उम्र तेरे साथ की ज्यादा नही तो कम मिले
अविनाश कुमार "नवाब"
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