शरारों शरारों जी जलती ख़बर है

122 122 122 122
शरारों शरारों सी जलती खबर है
तुम्हे हो कि ना हो सभी को मगर है

जो जाँ दे रहे हम वफ़ा में अभी भी
हमें बेवफाई की उनकी खबर है

दरारों से क्यों रोशनी आ रही है
कहो रोशनी से अंधेरो का घर है

है खेले ये दुनिया यूँ दिल से जो मेरे
न जाने उसे दिल क्या आया नजर है

हो आयीं बहारें कभी इस चमन में
अभी जो हैं बागों में जलते शज़र हैं

अविनाश कुमार"नवाब"





इशारों इशारों में दिल लेने वाले





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