मेरे जब से बिगड़े हालात सुनिए

मेरे जब से हैं बिगड़े हालात सुनिए
जो हैं कुछ नही उनकी बेबात सुनिए

की हो कायदे में रहें बातें जो हों
ये भी क्या हुई बात हर बात सुनिए

शहर में चुनाओ के परचे हैं बटते
होने को है वादों की बरसात सुनिए

सिखाते हैं कुर्बानी क्या है हमे जो
तड़पते से मुर्ग़े के जज्बात सुनिए

कहे जा रही है जो मन मे आ रहा है
तो फिर क्या ये दुनिया की दिन रात सुनिए

हमी खेल में हों कोई दूसरा न
मज़ा फिर है क्या जो न शह मात सुनिए

122 122 122 122













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