जलकुंभी
जलकुंभी
बुरे ख्याल पानी मे जलकुंभी की तरह होते हैं। एक ख्याल ,दो और बुरे ख्यालों को पैदा करता है । अगले ख्याल फिर चार और पैदा कर देते हैं। एक सिरीज़ प्रारंभ हो जाती है। एक छोटा सा लगने वाला बुरा ख्याल , ख्यालो और सवालों की अनन्त जलकुंभी फैला देता है। जलकुंभिया रोज अपनी जड़ें मजबूत करती चली जाती हैं। पानी का बहाव रुकने लगता है। पानी मे सड़न की शुरुवात हो जाती है। ये सड़न गलन जलकुंभियों के लिए खाद का काम करते हैं। जलकुंभिया इतनी फैल जाती है कि ढूढ़ने से भी जलकुंभी का प्रारम्भ और अंत नही मिलता।
मस्तिष्क सवालों का जवाब भी तैयार करता है पर जवाबों में भी ये जलकुंभिया उलझी रहती हैं। स्पष्ट कुछ भी नज़र नही आता। जवाब भी एक नया सवाल खड़ा करते नज़र आता है। इन सवालों जवाबो से निपटने की ट्रेनिंग कोई नही देता। जिंदगी एक अच्छी प्रशिछक है पर उसकी फीस बहुत ज्यादा है । इसका कोर्स भी कभी खत्म नही होता। चूंकि ये जिंदगी है तो इस पर कोई रूल्स रेगुलेशन भी नही हैं, ये अपने हिसाब से मार पीट के सिखाती है। ऐसा नही है कि इस समस्या का कोई अल्टरनेट सोल्यूशन नही है , हज़ारो सालों से बहुत से लोग आए । बहुत अच्छे अच्छे लोग आए । अपने सिद्धान्तों को रखा । किसी ने धर्म का मार्ग सुझाया किसी ने शांति का , किसी ने वैराग्य का और न जाने क्या क्या । लिस्ट तो बहुत लंबी है। बाकी आप जानते तो होंगे ही।
पर समस्या ये है कि ये अल्टरनेट व्यवस्था अल्टरनेट ही रह गयी। मेन स्ट्रीम सोल्यूशन कभी बन ही नही पाई। अगर बन जाती तो सॉल्यूशन्स के जो नए नए ब्रांड आते हैं वो रुक जाते ।
मेरे पास भी कोई राइट सोल्यूशन नही है, इन जलकुंभियों से निपटने का । पर एक काम किया जा सकता है । जलकुंभियों को रोज थोड़ा थोड़ा हटाया जाए और इस प्रॉसेस में लोगो की हेल्प लेने से भी बिल्कुल झिझकना नही चाहिए । हेल्प हेल्प चिल्लाते रहना चाहिए। क्या पता कोई सुन ही ले। एक से बेहतर दो तो हैं ही।जलकुंभिया हटेंगी तो पानी का कुछ बहाव बनेगा। दो होंगे तो बहाव और भी तेज होगा। तेज़ बहाव होगा तो जलकुंभिया भी उसमें बहती चली जाएंगी।
अब दूसरी बात जिसका ऊपर कही गयी बात से सीधा सीधा कोई संबंध नही है पर दूर दूर तक हो सकता है। ये आपके विवेक के ऊपर है कि आप इसे कैसे जोड़ते हैं। ये एक quote है , माफी चाहता हूँ ,जिनका है उनका नाम नही पता और ये बहुत बुरी बात है ।
फिलहाल quote ये है कि " दो लोग आपस मे खुश रहें उसके लिए जरूरी है कि दोनों लोग खुश रहें"
नए साल पे कहने के लिए फिलहाल यही है।
नव वर्ष मंगलमय हो ।
बुरे ख्याल पानी मे जलकुंभी की तरह होते हैं। एक ख्याल ,दो और बुरे ख्यालों को पैदा करता है । अगले ख्याल फिर चार और पैदा कर देते हैं। एक सिरीज़ प्रारंभ हो जाती है। एक छोटा सा लगने वाला बुरा ख्याल , ख्यालो और सवालों की अनन्त जलकुंभी फैला देता है। जलकुंभिया रोज अपनी जड़ें मजबूत करती चली जाती हैं। पानी का बहाव रुकने लगता है। पानी मे सड़न की शुरुवात हो जाती है। ये सड़न गलन जलकुंभियों के लिए खाद का काम करते हैं। जलकुंभिया इतनी फैल जाती है कि ढूढ़ने से भी जलकुंभी का प्रारम्भ और अंत नही मिलता।
मस्तिष्क सवालों का जवाब भी तैयार करता है पर जवाबों में भी ये जलकुंभिया उलझी रहती हैं। स्पष्ट कुछ भी नज़र नही आता। जवाब भी एक नया सवाल खड़ा करते नज़र आता है। इन सवालों जवाबो से निपटने की ट्रेनिंग कोई नही देता। जिंदगी एक अच्छी प्रशिछक है पर उसकी फीस बहुत ज्यादा है । इसका कोर्स भी कभी खत्म नही होता। चूंकि ये जिंदगी है तो इस पर कोई रूल्स रेगुलेशन भी नही हैं, ये अपने हिसाब से मार पीट के सिखाती है। ऐसा नही है कि इस समस्या का कोई अल्टरनेट सोल्यूशन नही है , हज़ारो सालों से बहुत से लोग आए । बहुत अच्छे अच्छे लोग आए । अपने सिद्धान्तों को रखा । किसी ने धर्म का मार्ग सुझाया किसी ने शांति का , किसी ने वैराग्य का और न जाने क्या क्या । लिस्ट तो बहुत लंबी है। बाकी आप जानते तो होंगे ही।
पर समस्या ये है कि ये अल्टरनेट व्यवस्था अल्टरनेट ही रह गयी। मेन स्ट्रीम सोल्यूशन कभी बन ही नही पाई। अगर बन जाती तो सॉल्यूशन्स के जो नए नए ब्रांड आते हैं वो रुक जाते ।
मेरे पास भी कोई राइट सोल्यूशन नही है, इन जलकुंभियों से निपटने का । पर एक काम किया जा सकता है । जलकुंभियों को रोज थोड़ा थोड़ा हटाया जाए और इस प्रॉसेस में लोगो की हेल्प लेने से भी बिल्कुल झिझकना नही चाहिए । हेल्प हेल्प चिल्लाते रहना चाहिए। क्या पता कोई सुन ही ले। एक से बेहतर दो तो हैं ही।जलकुंभिया हटेंगी तो पानी का कुछ बहाव बनेगा। दो होंगे तो बहाव और भी तेज होगा। तेज़ बहाव होगा तो जलकुंभिया भी उसमें बहती चली जाएंगी।
अब दूसरी बात जिसका ऊपर कही गयी बात से सीधा सीधा कोई संबंध नही है पर दूर दूर तक हो सकता है। ये आपके विवेक के ऊपर है कि आप इसे कैसे जोड़ते हैं। ये एक quote है , माफी चाहता हूँ ,जिनका है उनका नाम नही पता और ये बहुत बुरी बात है ।
फिलहाल quote ये है कि " दो लोग आपस मे खुश रहें उसके लिए जरूरी है कि दोनों लोग खुश रहें"
नए साल पे कहने के लिए फिलहाल यही है।
नव वर्ष मंगलमय हो ।
Comments