ऐसे ही हैं हालात की बस

222 212 122
कौन आया मेरे मन

ऐसे ही हैं हालात की बस
पूछो मत क्या है बात की बस 

जो सब कहते सुन लेते हैं
अपनी है खत्म बात की बस

तेरे खातिर कभी खुद से ही
लड़ते हैं जज्बात की बस

दिन का उजियारा दिन की खातिर
रातों में करते रात की बस

लिख पढ़ सब होशियार हुए
करते धरते  जात की बस

वो जो ना करनी थी  उसको
कर दी है उसने बात की बस

वो इश्क़ भी हमसे करता है तो
करता है बातें बात की बस

रहने दो छोड़ो हाल मेरा
हमदर्दी ये खैरात की बस



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