क्या करूँ क्या न करूं

क्या करू क्या ना करूँ तू अब बता मुझको भी दे
खो चुका कबका यहाँ मेरा पता मुझको भी दे

दर्द मेरा भी वही है दर्द तेरा भी वही
मैं भी हूँ तेरी तरह थोड़ा जता मुझको भी दे

बन के बेहतर जग मिलेगा जग भला होगा भी क्या
गर खता से तू मिले करने खता मुझको भी दे

दिन न ही कोई गया जब याद में शामिल न तू
लौट जाना फिर मगर तू आ सता मुझको भी दे

2122 2122 2122 212

Comments

Popular posts from this blog

बहरें और उनके उदाहरण

मात्रिक बहर

बहर