है मुहब्बत ना ही कोई आसार है



है मुहब्बत ना ही कोई आसार है
जिंदगी यूँ है कि जैसे रविवार है

तैर आगों के दरिया में ग़ालिब मगर
जिंदगी से हमें तो बहुत प्यार है

कुछ नही है पता जाना भी है कहाँ
जाने को भीड़ सारी पर तैयार है

हमसे पूछो न तबियत हमारी कोई
वो जो देखें नही समझो बेकार है

खुश हैं हम ये हमारी गलतफहमी है
पर छोड़ो ये भी तो अच्छा आजार है

दिल दवा दारू क्या और चाहिए
उस गली में इन्ही का तो बाजार है

पूछो मत किस तरह है कटी जिंदगी
बस कटा और कटने का आसार है

है तुम्हे जो यकीं बाहें जन्नत हैं वो
कुछ नही है अभी बस तू बीमार है

ये खुमारी भी तेरी होनी है ख़तम
चीज़ कहता जिसे आजकल प्यार है

जो रकीबो ने माँगी दुआ मौत की
बदले मेरे उन्ही के कटे तार हैं

समझा मैं जो नही बातें मतलब की ये
यार  बन बैठा उनका मेरा यार है

जिंदगी चल  रही  थोड़ी थोड़ी सही
थोड़ा थोड़ा मगर क्या ही बेकार है


मीटर 212 212 212 212
नवाब




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