ऐसा भी वक़्त दुनिया का रहा है

ऐसा भी वक़्त दुनिया का रहा है
समंदर भी हो जब दरिया रहा है

तेरे नाम से ग़ज़ल इक लिख रहे हैं
बहर में धोखा काफिया रहा है

जाने महफ़िल में क्या कह रहे हैं
गुबारे दिल ग़ज़ल में आ रहा है

नशा बदनाम क्यूँ है जो अगर है
होश में भी खराब इंसाँ रहा है

हमें रुख्सत भी कर तो जिंदगी यूँ
की माँ से मिलने बच्चा जा रहा है

अविनाश कुमार "नवाब"



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