जिक्र जब मेरा किसी ने यूँ


जिक्र जब मेरा किसी ने यूँ चलाया होगा
आंख भर आयी होगी दर्द बढ़ आया होगा

ठीक से भी मना करते तो न बनता हमसे
फायदा सब ने इसी तर्ह उठाया होगा

हैं हमी एक दिवाने तो नही दुनिया में
ढूढ़ के ही हाँ खुदा कोइ तो पाया होगा

मर्तबा कितने खयालों में ही गुजरी होगी
बात को फिर भी मगर होंठ न लाया होगा

वस्ल की बात पे यादें मिरी आयी होंगी
रंग कुछ और भी रुखसार पे आया होगा

मस्ती खाना है हुआ सबके लिए दिल मेरा
खेल कर दिल से लोगो को मज़ा आया होगा








2122 1122 1122 22
होके मजबूर

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