एक नया मर्द
एक नया मर्द
हाथ पकड़ो इसका । पकड़ते क्यूँ नही । हाँ अब पैर भी पकड़ो । टब में पानी भर लिए हो कि नही।
खेतामल अपनी अम्मा की तरफ देख के ,हाँ में सर हिलाता है।
फिर देख क्या रहा है? जल्दी कर।
खेतामल कुछ झिझकता है, अपनी माँ की तरफ देख के बोलता है,तू ही कर ले अम्मा।
किस बात का मर्द है रे तू । तेरे अंदर ही कमी लगती है। दो लड़कियां जनवा चुका है। तेरा बाप आज जिंदा होता तो उसको ही चढ़वा देती तेरी औरत पर। हरामजादा था पर मर्द था तेरा बाप । जवानी में हरामी ने महरीन तक की लड़की को भी नही छोड़ा। मर्द बन , खत्म कर काम । अम्मा ने दबी हुई मगर एक एक शब्द को चबाते हुए अपनी बात कही।
अम्मा हाथ न लगाऊंगा, अजीब लगता है। घासलेट ला ,जला देते हैं।
पगला गया है खेता, सारा गांव बुलायेगा । लड़कीं की रोने चीखने से सब इक्कठा हो जायेंगे। तुझसे कुछ न हो पायेगा । जा जाके जीता को बुला, सीख कुछ अपने भाई से । अपनी दो लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया। तुझसे एक नही सम्भल रही।
खेतामल, जीतमल को बुला लाता है।
क्या हुआ अम्मा काहे बुला रही है ,कहते हुए जीतमल कमरे में घुसता है।पर कमरे में घुसते ही वो सारा माजरा समझ जाता है की अम्मा ने क्यूँ बुलाया है। जीतमल अम्मा के चेहरे पर आने वाले भावों से अपरिचित न था।
जीता समझ गया था , उसे क्या करना है। जीता आगे बढ़ा पर अम्मा को कुछ सोचता हुआ देख रुक जाता है, का हुआ, का सोच रही है अम्मा?
अम्मा जीता के कान में कुछ फुसफुसाती है और
जीता बिना कुछ कहे ,हामी भरते हुए ,कमरे से बाहर निकल जाता है। फिर थोड़ी देर बाद अपने 14 साल के बेटे काशी के साथ लौटता है।
अम्मा की सोच स्पष्ट थी , अम्मा नई पीढ़ी के लिए एक मर्द तैयार करना चाहती थी। खेता जैसा दूसरा न हो।
अम्मा काशी को रसोई से मोतीचूर के लड्डू लाने को कहती है, जो उसने पोता होने की चाहत में मँगा रखे थे।
पर शायद अम्मा के लिए अभी भी लड्डुओं का उद्देश्य खत्म नही हुआ था। फिर अम्मा ने काशी को कुछ समझाया । काशी की आँखों की चमक बता रही थी कि वो समझ चुका है, जो अम्मा उसे कहना चाहती थी। नया नया मर्द बनने का उत्साह उसकी आंखों में नज़र आ रहा था।
काशी ने एक लड्डू उठाया और अपनी 1 दिन की बहन के मुँह में ठूसने लगा। उसकी बहन सो रही थी ।पर लड्डू ठूसने पर उसकी नींद खुल गयी। बच्ची का मुँह लाल हो उठा। शरीर छटपटाने लगा। नन्हे जिस्म पे नीले रंग की धारियां बता रही थी कि जिंदगी मौत से हारने को है।ये देख काशी थोड़ा घबराया और अम्मा की तरफ देखने लगा । अम्मा ने आंखों के इशारे से काशी की हिम्मत बढ़ायी।और दूसरा लड्डू काशी की ओर बढ़ाते हुए बच्ची के हाथ पैर कस दिए। काशी दूसरा लड्डू भी ठूसने लगा, जितना ठूस सकता था। अम्मा अब नही जा रहा ,काशी ने कहा । ठूस ठूस अम्मा ने कहा।
सब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और इंतज़ार कर रहे थे कि कब ये सिलसिला खत्म हो। काशी अम्मा की उम्मीद से बेहतर मर्द साबित हुआ। नन्ही जान की छटपटाहट का अंत हो गया।
काशी को अपना रिजल्ट अम्मा की आंखों में दिख रहा था। उसने काम अच्छा अंजाम दिया।अब जश्न मनाने का मौका था । एक जिम्मेदारी का अंत हुआ। एक नया मर्द पैदा हो चुका था।
काशी और सबने मिल उस रात खूब देसी दारू की नदियां बहायी। हां ,कोने में एक औरत जरूर थी जिसका जिक्र नही किया मैंने। दर्द में थी और आंखों से चुपचाप आंसू बहाए जा रही थी। कहानी पूछती है उस औरत का नाम क्या था ,कौन थी वो? कहानी को क्या बताऊँ। फिर मैंने कहा कि उसको भूल जाओ, उसका कोई अस्तित्व नहीं।
खेतामल अपनी अम्मा की तरफ देख के ,हाँ में सर हिलाता है।
फिर देख क्या रहा है? जल्दी कर।
खेतामल कुछ झिझकता है, अपनी माँ की तरफ देख के बोलता है,तू ही कर ले अम्मा।
किस बात का मर्द है रे तू । तेरे अंदर ही कमी लगती है। दो लड़कियां जनवा चुका है। तेरा बाप आज जिंदा होता तो उसको ही चढ़वा देती तेरी औरत पर। हरामजादा था पर मर्द था तेरा बाप । जवानी में हरामी ने महरीन तक की लड़की को भी नही छोड़ा। मर्द बन , खत्म कर काम । अम्मा ने दबी हुई मगर एक एक शब्द को चबाते हुए अपनी बात कही।
अम्मा हाथ न लगाऊंगा, अजीब लगता है। घासलेट ला ,जला देते हैं।
पगला गया है खेता, सारा गांव बुलायेगा । लड़कीं की रोने चीखने से सब इक्कठा हो जायेंगे। तुझसे कुछ न हो पायेगा । जा जाके जीता को बुला, सीख कुछ अपने भाई से । अपनी दो लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया। तुझसे एक नही सम्भल रही।
खेतामल, जीतमल को बुला लाता है।
क्या हुआ अम्मा काहे बुला रही है ,कहते हुए जीतमल कमरे में घुसता है।पर कमरे में घुसते ही वो सारा माजरा समझ जाता है की अम्मा ने क्यूँ बुलाया है। जीतमल अम्मा के चेहरे पर आने वाले भावों से अपरिचित न था।
जीता समझ गया था , उसे क्या करना है। जीता आगे बढ़ा पर अम्मा को कुछ सोचता हुआ देख रुक जाता है, का हुआ, का सोच रही है अम्मा?
अम्मा जीता के कान में कुछ फुसफुसाती है और
जीता बिना कुछ कहे ,हामी भरते हुए ,कमरे से बाहर निकल जाता है। फिर थोड़ी देर बाद अपने 14 साल के बेटे काशी के साथ लौटता है।
अम्मा की सोच स्पष्ट थी , अम्मा नई पीढ़ी के लिए एक मर्द तैयार करना चाहती थी। खेता जैसा दूसरा न हो।
अम्मा काशी को रसोई से मोतीचूर के लड्डू लाने को कहती है, जो उसने पोता होने की चाहत में मँगा रखे थे।
पर शायद अम्मा के लिए अभी भी लड्डुओं का उद्देश्य खत्म नही हुआ था। फिर अम्मा ने काशी को कुछ समझाया । काशी की आँखों की चमक बता रही थी कि वो समझ चुका है, जो अम्मा उसे कहना चाहती थी। नया नया मर्द बनने का उत्साह उसकी आंखों में नज़र आ रहा था।
काशी ने एक लड्डू उठाया और अपनी 1 दिन की बहन के मुँह में ठूसने लगा। उसकी बहन सो रही थी ।पर लड्डू ठूसने पर उसकी नींद खुल गयी। बच्ची का मुँह लाल हो उठा। शरीर छटपटाने लगा। नन्हे जिस्म पे नीले रंग की धारियां बता रही थी कि जिंदगी मौत से हारने को है।ये देख काशी थोड़ा घबराया और अम्मा की तरफ देखने लगा । अम्मा ने आंखों के इशारे से काशी की हिम्मत बढ़ायी।और दूसरा लड्डू काशी की ओर बढ़ाते हुए बच्ची के हाथ पैर कस दिए। काशी दूसरा लड्डू भी ठूसने लगा, जितना ठूस सकता था। अम्मा अब नही जा रहा ,काशी ने कहा । ठूस ठूस अम्मा ने कहा।
सब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे और इंतज़ार कर रहे थे कि कब ये सिलसिला खत्म हो। काशी अम्मा की उम्मीद से बेहतर मर्द साबित हुआ। नन्ही जान की छटपटाहट का अंत हो गया।
काशी को अपना रिजल्ट अम्मा की आंखों में दिख रहा था। उसने काम अच्छा अंजाम दिया।अब जश्न मनाने का मौका था । एक जिम्मेदारी का अंत हुआ। एक नया मर्द पैदा हो चुका था।
काशी और सबने मिल उस रात खूब देसी दारू की नदियां बहायी। हां ,कोने में एक औरत जरूर थी जिसका जिक्र नही किया मैंने। दर्द में थी और आंखों से चुपचाप आंसू बहाए जा रही थी। कहानी पूछती है उस औरत का नाम क्या था ,कौन थी वो? कहानी को क्या बताऊँ। फिर मैंने कहा कि उसको भूल जाओ, उसका कोई अस्तित्व नहीं।
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